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पनडुब्बी सिंधुकीर्ति की फिर 934 करोड़ रुपये से होगी मरम्मत, एचएसएल से करार

  • – रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए
  • – मरम्मत के बाद युद्ध लड़ने योग्य होने पर नौसेना के सक्रिय बेड़े में शामिल होगी

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना की पनडुब्बी सिंधुकीर्ति को एक बार फिर मरम्मत के लिए हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) को भेजा जाएगा। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को एचएसएल के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। किलो क्लास की डीजल-इलेक्ट्रिक रूसी पनडुब्बी सिंधुकीर्ति ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत 934 करोड़ रुपये की लागत से मरम्मत होने के बाद युद्ध में लड़ने योग्य हो जाएगी, जिसके बाद इसे भारतीय नौसेना के सक्रिय बेड़े में शामिल किया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय ने आज एक बयान में बताया कि सिंधुकीर्ति पनडुब्बी की सामान्य मरम्मत के लिए विशाखापत्तनम के हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड से 934 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह पनडुब्बियों के लिए एचएसएल में लाइफ सर्टिफिकेशन के साथ मध्यम मरम्मत करने की दिशा में बढ़ाया गया कदम है। इस परियोजना में 20 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) शामिल हैं और परियोजना की अवधि के दौरान प्रतिदिन 1,000 श्रम दिवस के रोजगार का सृजन होगा।

आईएनएस सिंधुकीर्ति 9 दिसंबर, 1989 को नौसेना में शामिल की गई थी। भारत के पहले नौसेना प्रमुख एडमिरल रामदास ने सोवियत संघ में कमीशनिंग ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए थे। आईएनएस सिंधुकीर्ति (एस-61) भारतीय नौसेना की सातवीं सिंधुघोष श्रेणी की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है। इसकी 2015 में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में ही मरम्मत की जा चुकी है। उस समय यह पनडुब्बी जून, 2006 से मई, 2015 तक शिपयार्ड में रही थी। पनडुब्बी की मिडलाइफ अपग्रेड होने में 3 साल का समय लगने का अनुमान था, लेकिन अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा मरम्मत के लिए शिपयार्ड में बिताने के बाद आखिरकार 23 मई, 2015 को सेवा में लौट आई।

सिंधुकीर्ति की कुल लंबाई 72.6 मीटर (238 फीट), बीम 9.9 मीटर (32 फीट) और ड्राफ्ट 6.5 मीटर (21 फीट) है। यह पनडुब्बी समुद्र में अधिकतम 300 मीटर (980 फीट) की गहराई तक जा सकती है। पनडुब्बी में लगभग 68 नौसैन्य कर्मियों की तैनाती है, जिसमें 7 अधिकारी और 61 नाविक शामिल हैं। पनडुब्बी में एक शाफ्ट है, जिसमें एक सात ब्लेड वाला प्रोपेलर है। यह दो डीजल जनरेटर से संचालित है, जिनमें से प्रत्येक 1,000 किलोवाट (1,300 एचपी) का उत्पादन करता है। इसमें 5,500–6,800 हार्स पावर (4,100–5,100 किलोवाट) शक्ति के साथ एक इलेक्ट्रिक मोटर भी है। सिंधुघोष सतह पर 10-12 समुद्री मील (19-22 किमी/घंटा) की अधिकतम गति और जलमग्न होने पर 17-25 समुद्री मील (31-46 किमी/घंटा) की अधिकतम गति हासिल कर सकती है।

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