कथक के जरिए अपने गुरू पद्म विभूषण पं बिरजू महाराज को दी श्रद्धाजंलि

- पहली पुण्य तिथि पर उनके निवास कालका बिन्दादीन ड्योढ़ी पर हुआ कार्यक्रम
लखनऊ। देश के साथ ही विदेशों में भी प्रसिद्ध कथकाचार्य पद्म विभूषण पं बिरजू महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर आज यानि मंगलवार को लखनऊ के गोलागंज स्थित उनके ही निवास कालका बिन्दादीन की महाराज ड्योढ़ी पर शिष्य एवं शिष्याओं ने कथक से पुष्पांजलि अर्पित की। ज्ञातव्य हो कि एक वर्ष पूर्व इस तारीख में महाराज जी ने लम्बी बिमारी के बाद अंतिम सांस ली थी और स्वर्ग का सिधार गए थे। उनकी स्मृति में नारायण जन सेवा संस्थान के की ओर से महाराज जी के जन्मस्थान, जो कथक की ड्योढी के नाम से जानी जाती है, पर श्रद्धाजलि सभा एवं कथक के कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
संस्था के अध्यक्ष हिमांशु श्रीवास्तव ने गुरु शिष्य परम्परा के अन्तर्गत पं. बिरजू महाराज से दिल्ली मे उनके घर पर कथक नृत्य की शिक्षा प्राप्त की थी । हिमांशु बताते है जब महाराज जी के पास वह जाते थे तो महाराज जी आने-जाने का किराया देने के साथ एवं अपने घर में अपने बेटे के समकक्ष स्नेह भी करते थे। वह बताते है कि महाराज जी की अतिंम इच्छा थी कि लखनऊ में उनकी ड्योढ़ी पर कथक नृत्य पहले की ही तरह होता रहे, नृत्य की महफिले सजती रहे।
महाराज जी अस्थियां भी लखनऊ में ही मां गोमती में पहले प्रवाहित की गई थी। उसके बाद गंगा जी में प्रवाहित की गई थी। कथकाचार्य पद्म विभूषण पं बिरजू महाराज ने कई फिल्मों में हिरोइनों को कथक नृत्य का निर्देशन दिया था। जैसे गाना मोहे रंग दो लाल… में दीपिका पादूकोण एवं देवदास फिल्म में माधुरी दीक्षित को ‘ढ़ाई श्याम रोक दी… पर निर्देशित किया है। इसके अलावा कई फिल्मों के गानो में ठुमरी एवं कथक नृत्य की कोरियोग्राफी करके कथक को एक विशेष ऊंचाई तक पहुंचाया है।
महाराज जी की अतिंम इच्छानुसार लखनऊ घराने के परम्परागत कथक को हिमांशु श्रीवास्तव कार्यशालाएं आयोजित करके पूरा कर रहे है। हाॅल ही मेें दिल्ली से लखनऊ रहने आये पं राम मोहन महाराज ने ड्योढी पर आकर श्रृद्धांजलि अर्पित की। कहा की वह अपने स्वर्गीय बडे भाई पद्म विभूषण पं बिरजू महाराज की ईच्छा के चलते यहां हफ्ते मे तीन चार दिन कथक की कक्षाएं प्रारम्भ करेंगे। समय -समय पर मासिक कार्यक्रम भी आयोजित होगे। इसके लिए मुख्यमंत्री से बात करने के लिए समय मिला है।
श्रृद्धांजलि सभा मे कल्चरल क्वेस्ट की अध्यक्ष नृत्यागंना सुरभि सिंह अपने शिष्यो के साथ उपस्थित थी। इसके विकास मिश्र के अतिरिक्त रतन सिस्टर्स उपनाम से मशहूर युवा नृत्यागंना ईशा रतन, मिशा रतन ने टुकडे ,तिहाई किया। राघवेन्द्र, हिमांशु मिश्र, पंडित राममोहन महाराज ने ठुमरी भाव पर नृत्य किया। कार्यक्रम में कथक नृत्यागंना एवं शिक्षिका रुचि खरे, मीरा दीक्षित, गुड्डी श्रीवास्तव, सुरभि सिंह ने भाव नृृत्य प्रस्तुत किया। आकांक्षा श्रीवास्तव ने महाराज के साथ जुड़ी अपनी यादे लोगो से बताई। ज्योति किरन रतन ने महाराज जी के घर और उनसे मिलने की बातो को बताया।