उत्तर प्रदेशलखनऊ

शाइस्ता परवीन की चिट्ठी सार्वजनिक, मंत्री पर लगा साजिश रचने का आरोप

लखनऊ। पुलिस सुरक्षा में अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या के बाद मंगलवार को एक पत्र सोशल मीडिया में सार्वजनिक हुआ है। हालांकि वायरल पत्र की पुष्टि खबरी अड्डा नहीं करता है। लेकिन इस पत्र में जो बातें लिखी है वो चौकाने वाली हैं। मुख्यमंत्री योगी को लिखे गए इस पत्र के जरिए शाइस्ता ने कहा कि साजिशन के तहत उनके पति और देवर की हत्या की जा सकती है। इसमें सरकार के मंत्री और उच्च पद पर बैठे पुलिस अधिकारी शामिल हैं। लिहाजा मुकदमें की सुनवाई वीडियो कांफ्रेसिंग से कराई जाए।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि 24 फरवरी को उमेश पाल और उनके सुरक्षा में हुई दो गनरों की हत्या दुखद एवं निदंनीय है। इस घटना में उनके पति अतीक, देवर अशरफ, मुझे और मेरे पुत्रों सहित नौ लोगों को नामजद और नौ अज्ञात लोगों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है।

एफआईआर में मेरे पति और देवर जेल में बंद पुत्रों अली और उमर के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है। एक सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बेटे अली को शूटर बताया गया है। जबकि यह आरोप बिल्कुल निराधार है।

उन्होंने बताया कि सत्यता ये है कि जबसे बसपा से मुझे प्रयागराज से महापौर का उम्मीदवार बनाया है तब से यहां के एक स्थानीय नेता आपकी सरकार में काबीना मंत्री ने महापौर पद अपने पास रखने के लिए हम लोगों को चुनाव से दूर रखने की साजिश रचना शुरू कर दिया था। उसकी साजिश के परिणाम स्वरूप एक ऐसे व्यक्ति की हत्या करवायी गई, जिसकी हत्या का आरोप उनके पति और देवर पर लगना लाजमी था।

मैं आपकों यह भी बताना चाहती हूं कि उमेश पाल, राजू पाल हत्याकांड के गवाह नहीं थे। वो थाना धूमनगंज में दर्ज करवाए गए अपहरण के मुकदमें के वादी थे। जिसमें उनकी गवाहीं 16 और 17 अगस्त 2016 को अदालत में दर्ज हो चुकी है। मेरे पति और देवर के पास उनकी हत्या करवाने का कोई मकसद नहीं था। ये एक गंभीर राजनीतिक साजिश है, जिसका पर्दाफाश निष्पक्ष जांच से ही संभव है। क्योंकि प्रयागराज पुलिस पूरी तरह से प्रदेश सरकार के मंत्री के दबाव में काम कर रही है। मुकदमें में रिमांड के बहाने मेरे पति और देवर को जेल से बाहर निकलवाकर रास्ते में हत्या करवाने की साजिश है। इसमें प्रयागराज के कमिश्नर रमित शर्मा और एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश जो अतीक के विरोधियों से उनकी हत्या की सुपारी बहुत पहले ले चुके हैं।

उन्होंने कहा कि आपके द्वारा मिट्टी में मिला देने वाले बयान से इन पुलिस अधिकारियों को मेरे पति और देवर की हत्या को अंजाम देने में पूरी तरह से अवसर मिल गया है। अगर आपने इस मामले में दखल नहीं दिया तो मेरे पति और पुत्रों की हत्या हो जाएगी।

शाइस्ता ने मांग किया है कि थाना धूमनगंज में दर्ज मुकदमें की निष्पक्ष विवेचना सीबीआई से करवाया जाए। वहीं, यह भी कहा है कि किसी भी दशा में मेरे पति, देवर और पुत्रों अली उमर को जेल से न निकालने और समस्त न्यायिक कार्यवाही विडियो कांफ्रेसिंग के जरिए करवायी जाए। इसके अलावा उनके नाबालिग बेटे अहजम और आबान को अविलंब रिहा किया जाए। इस पत्र को सही मानें तो शाइस्ता ने 27 फरवरी, 2023 को ही मुख्यमंत्री योगी के नाम लिखा है।

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