उत्तर प्रदेशबड़ी खबरलखनऊ

एक सन्यासी मुख्यमंत्री के राज में धर्म की जय

लखनऊ। सन्यासी ही सर्वश्रेष्ठ राजा होता है। पद, सत्तालोभ, भोग-विलास अपना-पराया से परे, वह सबके साथ न्याय करता है। वह दिन-रात जनहित में ही लगा रहता है। प्रजा को परिवार मानने के नाते उसका हर काम प्रजाहित में होता है। धर्म की जय होती है। गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में यही हो रहा। समग्रता में भी और धार्मिक क्षेत्र में भी। उनके अब तक के कार्यकाल में धर्मार्थ विभाग के बजट के आंकड़े एवं काम इसके प्रमाण हैं।

धर्मार्थ कार्य विभाग का बजट एक हजार करोड़ हुआ

यूं तो धर्मार्थ विभाग का गठन1985 में ही हो गया था। पूर्व की सरकारों में यह उपेक्षित ही रहा। 2012 में इस विभाग का बजट मात्र 17 हजार रुपये था। धार्मिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण विभाग के लिए यह बजट ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ के समान था। इतने कम बजट में किसी खास काम की गुंजाइश थी ही नहीं। मार्च 2017 जब एक सन्यासी (योगी आदित्यनाथ) को प्रदेश की कमान मिली, तबसे इस विभाग में हर लिहाज से आमूल-चूल परिवर्तन हुआ। न केवल बजट बल्कि काम के लिहाज से भी। पांच साल में इस विभाग का बजट 32.52 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-2023 में 1000 करोड़ रुपये (प्रस्तवित) हो गया। लगभग 308 फीसद की यह वृद्धि किसी विभाग के लिहाज से अभूतपूर्व है। 2012 से तुलना करेंगे धर्मार्थ कार्य विभाग के बजट में 17 हजार रुपये से एक हजार करोड़ रुपये वृद्धि किसी चमत्कार से कम नहीं है।

संयोग से योगी जिस उत्तर प्रदेश के मुखिया हैं, वही भगवान श्रीराम, एवं श्रीकृष्ण की धरती भी है। तीनों लोकों ने आदि देव महादेव और तीनों लोकों से न्यारी काशी भी उसी प्रदेश में है। भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान जिस चित्रकूट में सर्वाधिक समय गुजरा था वह भी उत्तर प्रदेश में ही है। बौद्ध सर्किट के सभी प्रमुख स्थल कुशीनगर, सारनाथ एवं कपिलवस्तु और मां दुर्गा की प्रमुख शक्ति पीठ विंध्यधाम भी उत्तर प्रदेश में ही हैं।

अयोध्या, काशी, ब्रज, चित्रकूट, विंध्यधाम का कायाकल्प

योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद इन सभी स्थलों के कायाकल्प का काम जारी है। राधा और कृष्ण के लीलास्थली का वैभव लौटने के लिए सबसे पहले उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन किया। बाद में इसी उद्देश्य से विंध्यधाम तीर्थ विकास परिषद और चित्रकूट धाम तीर्थ विकास परिषद का गठन किया गया। इन परिषदों के जरिए करोड़ों रुपये से इन धर्म स्थलों के विकास का कार्य जारी है।

उल्लेखनीय है कि भगवान श्री राम, श्री कृष्ण,शिव और गंगा-यमुना एवं सरस्वती के पावन संगम की पवित्र धरती तीर्थराज प्रयाग की वजह से प्रदेश में इस तरह के विकास की गुंजाइश हरदम से रही। वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पाण्डेय का कहना है कि धर्म निरपेक्षता का लबादा ओढ़ने वाले राजनीतिक दलों ने जानबूझकर इन संभावनाओं की ओर ध्यान ही नहीं दिया। पहली बार इसकी अहमियत और संभावनाओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समझा। आज विभाग के नाम पर कई उपलब्धियां हैं।

बजट बढ़ने के साथ विभाग का काम और उसके नतीजे भी दिखने लगे। इस दौरान विभाग का सबसे प्रमुख काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र स्थित श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण रहा। पहले चरण में इस परियोजना पर कुल 794.32 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसमें से 345.27 करोड़ रुपये कॉरिडोर के मार्ग में आने वाले भवनों की खरीद पर खर्च हुए। बाकी 449.05 करोड़ रुपये निर्माण कार्य पर खर्च हुए। पहले चरण का लोकार्पण 31 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री कर चुके हैं। दूसरे चरण की लागत जीएसटी को छोड़कर 64.24 करोड़ रुपये है।

कॉरिडोर के निर्माण से काशी विश्वनाथ के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या चार से पांच गुना तक बढ़ गई। एक जनवरी 2022 और महाशिवरात्रि के दिन काशी विश्वनाथ के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या क्रमशः सात लाख एवं पांच लाख रही। इसका लाभ वाराणसी के होटल, रेस्त्रां, हैंडीक्राफ्ट के उत्पादकों, इसे बेंचने वाले नाविकों समेत छोटे-बड़े सभी दुकानदारों को मिला।

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि 118 करोड़ रुपये की लागत से बना कैलाश मानसरोवर भवन गाजियाबाद इंदिरानगर, 19 करोड़ रुपये की लागत से अयोध्या में भजन संध्या स्थल एवं चित्रकूट में 10 करोड़ रुपये की लागत से भजन संध्या एवं परिक्रमा स्थल का विकास, काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में वैदिक विज्ञान केन्द्र का निर्माण इसकी अन्य उपलब्धियां रहीं इस केंद्र में वैदिक गणित, वैदिक विज्ञान, वैदिक न्यायशास्त्र आदि के पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। 18 सितंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले चरण का लोकार्पण भी कर चुके हैं। दूसरे चरण के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने 934.46 लाख रुपये मंजूर किए हैं।

विभाग के प्रस्तावित कार्य

प्रयागराज, मथुरा, वाराणसी एवं गोरखपुर में भजन संध्या स्थल का निर्माण। अयोध्या में 35.07 करोड़ रुपये की लागत से सहादतगंज नयाघाट से सुग्रीव किला पथ होते हुए रामजन्म भूमि तक सात किमी की लंबाई में चार लेन की जन्मभूमि पथ का निर्माण। अयोध्या मुख्य मार्ग से हनुमान गढ़ी होते हुए श्रीराम जन्मभूमि तक 850 किमी की लंबाई में 6364 करोड़ रुपये की लागत से भक्तिपथ का निर्माण। करीब 1080 करोड़ रुपये की लागत से सहादतगंज नया घाट मार्ग का चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण।

रीडर न्यूज़

Live Reader News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2019. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2019.

रीडर न्यूज़

Live Reader News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2019. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2019.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button