कलाकारों ने अपनी कला में कथकाचार्य पं. बिरजू को किया याद

- लखनऊ स्थित कालका बिन्दादीन जी की ड्योढी पर उनकी जयंती पर कलाकारों का हुआ जमावड़ा
- सरकार से प्रतिवर्ष कार्यक्रम कराए जाने की मांग
लखनऊ। लखनऊ घराने की कथक नृत्यागंनाओं और नर्तकों ने आज यानि चार फरवरी को प्रसिद्ध कथकाचार्य पं. बिरजु महाराज जी का जयंती पर उनको याद किया। इस अवसर पर गुरू- शिष्य परम्परा में सीख रहे कई शिष्यों ने व कई वरिष्ठ कलाकारों ने नृत्य कर उनके चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित की। इस अवसर पर लखनऊ के गोलागंज स्थित कालका बिन्दादीन जी की ढ्योड़ी पर कलाकारों का समागम हुआ।
कथक गुरू पं. राममोहन महाराज, वरिष्ठ कथक नृत्यागंना प्रो. पूर्णिमा पाण्डेय, पं. रामेश्वर प्रसाद मिश्र, मीरा दीक्षित, बीना सिंह , सुरभि सिह , प्रसिद्ध तबला वादक इल्माज हुसैन खांॅ, विकास मिश्र,अनुज मिश्र, हिमांशु एवं लवीना आदि सभी कलाकारों ने मिलकर पं. बिरजू महाराज जी को नमन किया और कथक नृत्य करते हुए लखनऊ घराने के विशेष टुकडे़, परन तिहाईयां, भाव दर्शन में कई ठुमरी प्रस्तुत की। गुरूजनों के साथ मिलकर सभी शिष्यों ने भी ताल से मिलाई एव और उनकी ड्योढ़ी पर हाजिरी दी।
ड्योड़ी वह स्थान है, जहां लखनऊ घराने के कथक का प्रारम्भ है। कथक नर्तकों और नृत्यागंनाओं के यह ड़योढ़ी एक पूज्य स्थान है। इस स्थान की पूरे विश्व में अपनी एक पहचान है। इस घराने को इस स्तर तक पहुंचाने का सबसे बड़ा श्रेय भी पं. बिरजू महाराज जी को ही जाता है।
इसीलिए इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के सभी कलाकारों ने इस कार्यक्रम को प्रतिवर्ष सरकार द्वारा उच्च स्तर पर कराए जाने की मांग की, जिससे पूरे विश्व से कथक के कलाकार यहां आ सकें और हाजिरी दे सकें। कथक के पर्याय पं. महाराज के जयंती कार्यक्रम को एक वृहद रूप दिया सके।