उत्तर प्रदेशमऊ

अरशद जमाल साइकिल छोड़ करेंगे हाथी की सवारी

  • दो बार जीते अरशद सपा से टिकट न मिलने से नाराज थे

मऊ। अरशद जमाल ने साइकिल की सवारी छोड़कर अब हाथी की सवारी करने के लिए तैयार हो गए हैं। सोमवार को अरशद जमाल ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से अपना नामांकन दाखिल किया। पूर्व में दो बार अरशद व उनकी पत्नी समाजवादी पार्टी (सपा) से पालिका अध्यक्ष पद पर चुनाव जीते थे।

नगर पालिका परिषद मऊ में पूर्व चेयरमैन अरशद जमाल ने समाजवादी पार्टी से टिकट ना मिलने के कारण लगभग दो दशक से भी ज्यादा समाजवादी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने सोमवार को कहा कि मैं एक सच्चा समाजवादी सिपाही था और लगातार समाजवादी पार्टी के साथ ईमानदारी से लगा रहा, लेकिन दो बार पालिका अध्यक्ष रहने के बाद भी ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया गया जिसका कोई वजूद नहीं है। अरशद अपने राजनीतिक वजूद को बचाए रखने के लिए सपा का दामन छोड़कर हाथी की सवारी करने के साथ चुनाव मैदान में उतर गए हैं।

इस नए पैंतरेबाजी से राजनीतिक गलियारों में सियासी पारा गरम हो गया है। नगर पालिका मऊ सामान्य सीट होने के बावजूद भी भाजपा ने अनुसूचित जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारकर बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने का काम किया है। चूंकि भाजपा उम्मीदवार नगर क्षेत्र के अल्पसंख्यक क्षेत्र के रहने वाले हैं और बसपा में कद्दावर नेता भी रहे हैंं। वहीं समाजवादी पार्टी में नए चेहरे पर विश्वास जमाते हुए आबिद अख्तर को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।

एक समुदाय के साथ मुख्तार के करीबी ने चुनाव से बनाई दूरी

नगर पालिका अध्यक्ष पद काे एक समुदाय पारंपरिक सीट मानती हैं। हालांकि चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मुख्तार के करीबी निवर्तमान चेयरमैन तय्यब पालकी इस बार चुनाव मैदान से बाहर दिख रहे हैं। जानकारों की माने तो नगर पालिका चुनाव में मुख्तार का दबदबा अब तक कायम था, लेकिन योगी सरकार द्वारा माफियाओं के खिलाफ लगातार हो रही कार्रवाई उसके दहशत से तय्यब पालकी इस बार राजनीतिक रेस से बाहर है।

हाईप्रोफाइल सीट पर बदले चुनावी समीकरण

नगर पालिका अध्यक्ष की सीट इस हाई प्रोफाइल सीट के पीछे नगर विकास मंत्री एके शर्मा का गांव काझा भी शामिल है। हालांकि वोटरों की समीकरण बदलने से राजनीतिक दलों के अपने-अपने अनुमान और फायदे लगाए जा रहे हैं।

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