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10 हजार कर्मियों के ईपीएफ हड़पने वालों को बचा रहा लखनऊ नगर निगम, नहीं दे रहा नाम

लखनऊ नगर निगम 10 हजार सफाई कर्मियों के ईपीएफ का गबन करने वाले ठेकेदारों व सफाई एजेन्सियों को बचा रहा है। गबन करने वाले ठेकेदारों व संस्थाओं के नाम कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को नहीं बता रहा है। संगठन के अधिकारियों की टीम सितम्बर में दस्तावेज लेने नगर निगम आयी भी। अफसरों के साथ बैठकर उनसे कर्मचारियों के भविष्य निधि की कटौती के सम्बंध में दस्तावेज मांगे। लेकिन नगर निगम कोई दस्तावेज नहीं दिया है। जिससे मामले की जांच नहीं हो पा रही है। अब इस मामले में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के प्रवर्तन अफसर ने नगर आयुक्त को कड़ा पत्र लिखा है। उन्होंने एक्ट का हवाला देते हुए कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

नगर निगम में करीब 35 कार्यदायी संस्थाएं लगी हैं। इन संस्थाओं के करीब 10 हजार सफाई कर्मचारी नगर निगम में लगाये गये है। इन कर्मचारियों के लिए ईपीएफ व ईएसआईसी का भुगतान खुद नगर निगम कार्यदायी संस्थाओं को कर रहा है। लेकिन वह सफाई कर्मियों के खाते में पैसा जमा करने की बजाय खुद हजम कर जा रही हैं। हिन्दुस्तान ने करीब पांच महीने पहले इसमें हो रहे घोटाले की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित की थी। इस खबर को भविष्य निधि संगठन ने काफी गंभीरता से लिया था। वह इस मामले की जांच में लगा है। लेकिन भ्रष्टाचार में संलिप्त नगर निगम के कुछ अफसर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को इससे जुड़े दस्तावेज ही नहीं दे रहे हैं। संगठन इसके लिए नगर निगम को कई पत्र भी लिख चुका है। छह अक्तूबर को प्रवर्तन अधिकारी चन्द्रशेखर सिंह तथा आलोक चन्द्र ने नगर आयुक्त को फिर एक पत्र लिखा है।

उन्होंने लिखा है कि 13 सितम्बर को भविष्य निधि संगठन की टीम नगर निगम मुख्यालय लालबाग गयी थी। निगम के अधिष्ठान विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों से मिली। पूर्व में इसकी सूचना भी दी गयी थी। लेकिन संगठन को नगर निगम ने कोई दस्तावेज नहीं दिये। न दिखाए। जिससे जांच नहीं हो पा रही है। प्रवर्तन अधिकारी ने इसे आखिरी नोटिस बताया है। उन्होंने एक्ट का हवाला देते हुए दस्तावेज न उपलब्ध कराने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की बात लिखी है।

ईपीएफ में 50 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है

नगर निगम में करीब 10 हजार सफाई कर्मियों के ईपीएफ का 50 करोड़ से अधिक का गबन हुआ है। इस गबन में नगर निगम के कुछ अफसरों के साथ कार्यदायी संस्थाएं व ठेकेदार भी शामिल हैं। नगर निगम के अफसरों की इन कार्यदायी संस्थाओं के साथ सांठ गांठ है। इसीलिए वह उन्हें दस्तावेज नहीं उपलब्ध करा रहे हैं।

कर्मचारियों के खातों में प्रतिमाह जमा होने थे ईपीएफ के 2680.31 रुपए

नगर निगम में कार्यदायी संस्थाओं के माध्यम से पहले 10 हजार सफाई कर्मचारी लगे थे। अब इनकी संख्या लगभग आठ हजार हो गयी है। नगर निगम प्रत्येक सफाई कर्मचारी को 13 प्रतिशत ईपीएफ तथा 3.25 प्रतिशत ईएसआईसी का भुगतान कार्यदायी संस्थाओं को करता है। कुल 1502.31 रुपए का भुगतान करता है। लेकिन निजी सफाई एजेन्सियां यह पैसा डकार गयी हैं। निजी एजेन्सियां भी कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाल ईपीएफ के लिए 1178 रुपए की कटौती कर रही थी लेकिन उसे भी ईपीएफ में नहीं जमा कराया है। एक कर्मचारी का प्रतिमाह ईपीएफ का 2680.31 रुपए होता है। 10 हजार कर्मचारियों को प्रतिमाह ईपीएफ का पैसा 2.68 करोड़ रुपए होता है। केवल एक वर्ष का ही 32.16 करोड़ रुपए होता है। जिसका गबन किया गया है।

80 प्रतिशत से अधिक कार्यदायी संस्थाओं ने ईपीएफ का पैसा जमा कराना शुरू कर दिया है। कुछ पुराना भी जमा कराया है। कर्मचारियों के ईपीएफ खाते भी खुलवाये हैं। सभी जानकारी भी दी जा रही है। इधर का जो पैसा बचा है उसे भी कम्पनियां जमा कर रही हैं। बिना ईपीएफ जमा कराए उनका भुगतान नहीं किया जाएगा।

यमुनाधर चौहान, एसडीएम व कार्यदायी संस्थाओं के प्रभारी, नगर निगम

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