बच्चों को ज्यादा पोषणयुक्त भोजन की आवश्यकता: डॉ.सुनीता सक्सेना
लखनऊ। पोषण न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक असंतुलन के लिए जिम्मेदार होता है। लोग अभी भी सिर्फ भूख के लिए खाते हैं, पोषण के लिए नहीं। अधिकांश लोग भूख मिटाने के लिए खाते हैं, पेट भरने की प्रक्रिया में पोषण कितना मिल रहा है, उसपर उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की न्यूट्रीशन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुनीता सक्सेना ने बताया कि यदि बच्चों में पोषण की बात करें तो नवजात या बच्चों को वयस्क से ज्यादा पोषणयुक्त भोजन की आवश्यकता होती है। एक नवजात को जहां 120 केलोरी प्रति एक किलो चाहिए होती हैं वही दस साल से अधिक उम्र को 56 कैलोरी प्रति किलो की जरुरत होती है।
डा. सुनीता ने बताया कि जन्म से लेकर शिशु के दो साल तक के समय में सबसे ज्यादा पोषण पर ध्यान देने की जरुरत होती है। छह माह तक तो सिर्फ स्तनपान ही कराना होता है, उसके बाद शिशु के पूरक आहार पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि सही पोषण के लिए जरुरी है कि सभी अपनी डाइट में सभी खाद्य समूहों जैसे कि कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, फैट, विटामिन, मिनरल और फाइबर को शामिल करें।
डॉ. सुनीता सक्सेना बताती हैं कि सही पोषण न मिलने पर, शरीर पर बहुत से चिकित्सीय प्रभाव पड़ते हैं जैसे कि आंतों में संक्रमण, पोषक तत्व को अवशोषित करने में समस्या, मांसपेशियों की हानि, त्वचा में संक्रमण हो जाता है। इसके अलाव पेनक्रियाज में समस्या, शुगर जोखिम में वृद्धि, लीवर व प्रतिरक्षा प्रणाली में समस्या, श्वासप्रणाली में संक्रमण, हृदय रोग सम्बन्धी समस्या, भूख में कमी, सुस्ती, दीर्घकालिक विकासात्मक प्रभाव, थायरॉयड, तनाव, शारीरिक विकास, हार्मोनल असंतुलन आदि समस्याएं आती हैं।
स्वीकार्य आहार
अनाज, कन्द व मूल, गाढ़ी पकी हुई दालें व फलियां, दूध व दुग्ध पदार्थ, अंडा, मांस व मछली, पके हुए नारंगी/ पीले रंग के गूदेदार फल एवं सब्जियां, हरी एवं पत्तेदार सब्जियां आदि।