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पांच साल में 310 हथियार बनाये जाएंगे स्वदेशी, विदेशों से आयात पर लगेगा प्रतिबन्ध

  • स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जारी की तीसरी सकारात्मक सूची
  • स्वदेश में विकसित 310 हथियार और प्लेटफार्म केवल भारतीय फर्मों से ही खरीदे जा सकेंगे

नई दिल्ली। भारतीय रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को तीसरी सकारात्मक सूची जारी की। इस सूची में उन 101 आइटम (हथियारों) को शामिल किया गया है, जिन्हें स्वदेश में ही विकसित किया जा रहा है। इन रक्षा वस्तुओं या उपकरणों के आयात पर अगले पांच वर्षों में प्रतिबंध लगेगा और इन्हें केवल भारतीय फर्मों से ही खरीदा जा सकेगा। तीसरी सूची में शामिल आइटम को दिसंबर 2022 से दिसंबर 2027 तक पूरी तरह से स्वदेशी बनाया जाना है। इससे पहले 2020 से अब तक दो सूचियां जारी करके 209 हथियारों के आयात पर प्रतिबन्ध लगाया जा चुका है।

स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए 101 हथियारों और प्लेटफार्मों की ‘पहली सकारात्मक स्वदेशीकरण’ सूची 21 अगस्त, 2020 में अधिसूचित की गई थी। पहली सूची में मुख्य रूप से 155 एमएम और 52 कैलीबर के अल्ट्रा-लाइट होवित्जर, हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) एमके-1ए के लिए उन्नत स्वदेशी सामग्री, पारंपरिक पनडुब्बी और संचार उपग्रह जीसैट-7सी शामिल हैं। इसी तरह टैंक इंजन, रडार, कोरवेट सहित 108 हथियारों और प्लेटफार्मों की दूसरी सूची 31 मई, 2021 को जारी की गई थी। इसमें अगली पीढ़ी के कार्वेट, भूमि आधारित एमआरएसएएम हथियार प्रणाली, स्मार्ट एंटी-फील्ड वेपन सिस्टम (एसएएडब्ल्यू) एमके-आई, टैंक टी-72, ऑनबोर्ड ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम (ओबीओजीएस) आधारित लड़ाकू विमानों के लिए एकीकृत जीवन समर्थन प्रणाली और 1000 हार्स पावर इंजन को शामिल किया गया है।

आज जारी की गई तीसरी सकारात्मक सूची में उन 101 आइटम (हथियारों) को शामिल किया गया है, जिन्हें स्वदेश में ही विकसित किया जा रहा है। इस तरह 310 रक्षा उपकरणों वाली इन तीन सूचियों को जारी करने के पीछे सरकार का मकसद घरेलू उद्योग की क्षमताओं को बढ़ावा देना है। भारतीय सशस्त्र बलों की मांग को पूरा करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मानकों के उपकरणों के निर्यात का भी लक्ष्य है। इससे प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षमताओं में नए निवेश को आकर्षित करके स्वदेशी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) की क्षमता को प्रोत्साहित करने की संभावना है। सरकार का यह प्रयास घरेलू रक्षा उद्योग को सशस्त्र बलों की भविष्य की जरूरतों को समझने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करेगा।

तीसरी सूची में शामिल 101 आइटम को अगले पांच वर्षों में दिसंबर 2022 से दिसंबर 2027 तक पूरी तरह से स्वदेशी बनाया जाना है। इससे भारतीय रक्षा उद्योग को 2,10,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर मिलने की संभावना है। तीसरी सूची में अत्यधिक जटिल सिस्टम, सेंसर, हथियार और गोला-बारूद जैसे लाइट वेट टैंक, गाइडेड एक्सटेंडेड रेंज पिनाका रॉकेट, नेवल यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, नेक्स्ट जनरेशन ऑफशोर पेट्रोल वेसल शामिल हैं। इसके अलावा एमएफ स्टार (जहाजों के लिए रडार), मध्यम दूरी की एंटी-शिप मिसाइल (नौसेना संस्करण), एडवांस लाइट वेट टॉरपीडो (जहाज लॉन्च), हाई एंड्योरेंस ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल, मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस अनमैन्ड एरियल व्हीकल, एंटी-रेडिएशन मिसाइलें, लुटेरिंग मुनिशन को भी शामिल किया गया है, जिनका विवरण रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

इस मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘आत्मनिर्भरता’ का मतलब दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग-थलग रहकर काम करना नहीं है, बल्कि देश के भीतर उनकी सक्रिय भागीदारी से काम करना है। यहां तक कि ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत हमारे पास ऐसे प्रावधान हैं, जो विदेशी कंपनियों को निवेश, सहयोग, संयुक्त उद्यम स्थापित करने और लाभ कमाने के लिए उपयुक्त अवसर और वातावरण प्रदान करते हैं। रक्षा मंत्री ने ऐसा वातावरण बनाने का भरोसा दिलाया, जहां सार्वजनिक, निजी क्षेत्र और विदेशी संस्थाएं मिलकर काम कर सकें और भारत को रक्षा निर्माण में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बनने में मदद कर सकें।

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, थल सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी, रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी और उद्योग के प्रतिनिधि इस अवसर पर उपस्थित थे।

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