
अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने केन्द्रीय बजट 2023-24 पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार बजट में किसानों के हितों को भूल गई। इस बजट में किसानों के लिए कुछ भी ऐसा नहीं है, जिससे किसानों को लाभ हो सके।
आईफ के राष्ट्रीय संयोजक त्रिपाठी ने बुधवार को हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि किसान उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें कर्ज से राहत मिलेगी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में इजाफा किया जाएगा, लेकिन किसान सम्मान निधि नाम पर किसानों को सिर्फ अपमानित किया जा रहा है। बड़ी संख्या में किसानों से यह राशि वापस ली जा रही है।
आगे उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले छोटे किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के रूप में साल भर में 06 हजार की राशि तीन समान किस्तों में देने की घोषणा की गई थी। फरवरी 2019 में पहली किस्त देश के 11.84 करोड़ किसानों को दी गई। इसके बाद किस्त दर किस्त लाभार्थियों की संख्या में कटौती होती गई।
उन्होंने दावा किया कि 11वीं किस्त मात्र 3.87 करोड़ किसानों को ही मिली है। वहीं 12वीं किस्त के लिए केवल 3.01 करोड़ (29 जनवरी तक) किसान ही सरकार की नजरों में इस सम्मान व निधि के योग्य माने गए हैं। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून वापस लेने के बाद से ही केन्द्र सरकार किसानों से नाराज है। यह नाराजगी बजट में साफ देखी जा सकती है।
वहीं कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की बात भूल चुकी है। मोदी सरकार ने वादा किया था कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करेगी, लेकिन सरकार अब इस मुद्दे पर बात नहीं करती है।
शर्मा ने कहा कि इस बार किसान उम्मीद कर रहे थे कि पीएम किसान की राशि बढ़ाई जाएगी, लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर कोई घोषणा नहीं की। किसान चाह रहे थे कि पीएम किसान की राशि बढ़ाकर 12 हजार रुपये सालाना किया जाए। इससे किसानों को सीधा लाभ होता।