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पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है भारत: सीतारमण

  • निर्मला सीतारमण ने कहा- हमने एमएसएमई को भी दी है राहत

नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त निर्मला सीतारमण ने आमचुनाव से पहले मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी और अपने पांचवें पूर्ण बजट में मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को कर के मोर्चे पर बड़ी राहत दी है। वित्त वर्ष 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश करने के बाद यहां आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सीतरमण ने कहा कि हम पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहे हैं।

सीतारमण ने बुधवार को यहां नेशनल मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि हमने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को बजट में राहत दी। बजट, पूंजी निवेश को एक बड़ा कदम देता है, जो एमएसएमई में भी शामिल होता है। ये विकास के इंजन हैं। यह पूंजी निवेश को बनाए रखता है और निजी क्षेत्र को आगे बढ़ाता है, जबकि व्यक्तियों और मध्यम वर्ग को कर राहत भी देता है। बजट में एमएसएमई के लिए दो लाख करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी स्कीम लाने की घोषणा की है।

वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि लोन के लिए 20 लाख रुपये उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कृषि ऋण में काफी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत एक उप-योजना यह सुनिश्चित करती है कि तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग इससे लाभान्वित होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बजट में महिला सशक्तिकरण और पर्यटन पर भी जोर दिया गया है। सीतारमण ने आगे कहा कि हम फिनटेक, औद्योगीकरण, डिजिटल अर्थव्यवस्था को भारत की डिजिटल शक्ति के रूप में देख रहे हैं।

सीतारमण ने कहा कि व्यक्तिगत आयकर में लंबे समय बाद बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि दो-तीन साल पहले लाए गए नए टैक्स रीजीम में ज्यादा इंसेंटिव को शामिल करने के साथ और ज्यादा आकर्षक बनाया गया है, ताकि लोग बिना किसी संकोच के पुराने की जगह नए टैक्स रीजीम से जुड़ सकेंगे। सीतरमण ने कहा कि हम किसी को बाध्य नहीं कर रहे हैं, लेकिन अब नया टैक्स सिस्टम ज्यादा आकर्षक है। इसमें ज्यादा टैक्स रिबेट दी गई है। दरअसल, वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दी है, जबकि टैक्स स्लैब को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि परियोजनाएं चल रही हैं और धन का उपयोग हो रहा है, जो बजट विवरण से आ रहा है। व्यक्ति के बिना परियोजनाएं कैसे पूरी हो सकती हैं। मानव हस्तक्षेप के बिना एक फीसदी परियोजना पूरा नहीं किया जा सकता है, तो जाहिर तौर पर जमीन पर नौकरियां मिल रही हैं।

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