उत्तर प्रदेशताज़ा ख़बरलखनऊसियासत-ए-यूपी

बीजेपी और सपा से इतर केवल 5 ही विधायक बने, क्या है उनकी खासियत

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के ज्यादातर परिणाम सामने आ चुके हैं और राज्य में भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी दलों के साथ सरकार बना रही है. वहीं इस चुनाव में सबसे ज्यादा चौकाने वाले परिणाम बीएसपी, कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के रहे. जहां बीएसपी अपने खराब प्रदर्शन के कारण सुर्खियों में है और वह राज्य में महज एक सीट जीत सकी है, वहीं कांग्रेस दो सीटों में सिमट गई है और कांग्रेस का भी प्रदर्शन सबसे निराशाजनक रहा. जबकि राजा भैया की पार्टी पहली बार राज्य के चुनाव में मैदान में उतरी है और उसके दो प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब रहे. अगर देखें तो इन दलों के प्रत्याशी अपने दल के चलते नहीं बल्कि अपने व्यक्तिगत रसूख के चलते ही भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के मजबूत प्रत्याशियों को शिकस्त दे सके. इसलिए इनकी जीत में भी इनके दलों की कोई भूमिका नहीं है.

आराधना मिश्रा मोना-रामपुर खास

प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा मोना चुनाव जीत गई हैं. उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी नागेश प्रताप को वोटों को हराकर कांग्रेस की लाज को बचा कर रखा है. रामपुर खास प्रमोद तिवारी का गढ़ माना जाता है और इस बार आराधना मिश्रा दूसरी बार वहां से चुनाव लड़ रही थी और उन्हें 83852 वोट मिले जबकि बीजेपी प्रत्याशी नागेश प्रताप को 69346 वोट मिले और आराधना मिश्रा इस सीट पर जीत दर्ज करने में सफल रही हैं. कांग्रेस नेता नेता प्रमोद तिवारी इस सीट पर लगातार 9 बार विधायक रह चुके हैं.

प्रियंका गांधी की करीबी हैं मोना मिश्रा

अगर बात आराधना मिश्रा मोना की करें तो वह प्रियंका गांधी की करीबी नेताओं में मानी जाती है और यूपी चुनाव में साये की तरह प्रियंका गांधी के साथ नजर आयी. उनके पिता रामपुर खास में 41 साल विधायक रहे और विधायक बनने से पहले आराधना पंचायत चुनाव में जीतकर बीडीसी सदस्य बनीं और इसके बाद ब्लॉक प्रमुख. वहीं मोना तीसरी बार रामपुर खास से चुनाव जीती है. प्रमोद तिवारी की सीट छोड़ने के बाद वह उपचुनाव में पहली बार विधायक बनी थी. इस सीट पर प्रमोद तिवारी ने 1980 में इस सीट पर कब्जा जमाया था . वहीं मोना मिश्रा यूपी चुनाव में प्रियंका गांधी के ‘मैं लड़की हूं लड़ सकती हूं’ अभियान को संभाल रही थी.

उमाशंकर सिंह-रसड़ा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है और इस बार पार्टी महज एक सीट पर जीत दर्ज कर सकी है. पार्टी बलिया जिले की रसड़ा विधानसभा सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी है. बीएसपी प्रत्यासी उमाशंकर सिंह ने एसपी-सुभासपागठबंधन के प्रत्याशी महेंद्र को हराया और इस सीट पर उमाशंकर सिंह की लगातार तीसरी जीत है. उमाशंकर सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी महेंद्र को करीब 5000 वोटों से हराया है.

वाईफाई उपलब्ध कराते हैं उमाशंकर सिंह

उमा शंकर के बारे में कहा जाता है कि वह सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र रसड़ा में फ्री वाई-फाई उपलब्‍ध कराने के लिए भी जाना जाता है. अपने छात्र जीवन से ही राजनीत‍ि की शुरुआत करने वाले उमाशंकर सिंह बलिया के एएसी कॉलेज से पहली बार 1990-91 में महामंत्री बने थे और उसके बाद वह 2000 में जिला पंचायत अध्यक्ष बने. इसके बाद उन्होंने ठेकेदारी में हाथ आजमाए. वहीं वह लगातार इस सीट पर तीसरी बार जीत रहे हैं. उमाशंकर सिंह पहली बार बसपा के टिकट पर 2012 में रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे और 2017 में भी विधायक बने. हालांकि ठेकेदारी के कारण उनकी विधायकी भी चली गई थी. लेकिन इस बार उन्होंने साबित कर दिया है कि उन्हें जनता का समर्थन है और वह तीसरी बार विधायक बनने में सफल रहे.

वीरेंद्र चौधरी-फरेंदा

महाराजगंज की फरेंदा सीट से कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी को जीत मिली है. राज्य में कांग्रेस दो ही सीट जीत सकी है और इसमें फरेंदा सीट भी शामिल है. वीरेन्द्र सिंह को 85,181 वोट मिले जबकि बीजेपी के बजरंग बहादुर सिंह को 83,935 वोट मिले. फरेंदा विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में आती है और 2017 में भारतीय जनता पार्टी के बजरंग बहादुर सिंह ने कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी को 2354 वोटों से हराया था.

फरेंदा सीट पर चल रहा था ये नारा- पांच बार हारे, बेचारे वीरेंद्र

महराजगंज जिले की फरेंदा सीट पर कांग्रेस के वीरेन्द्र सिंह चुनाव जीते हैं और चुनाव से पहले वहां पर एक नारा ट्रेंड कर रहा था. पांच बार का हारा, वीरेंद्र बेचारा. लेकिन इस बार चुनाव में वीरेन्द्र सिंह ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट मानी जाने वाली फरेंदा विधानसभा में पांच बार हारे वीरेंद्र सिंह को इस बार टिकट दिया था. वही कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं और अब तक पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन उन्हें तीन बार बीएसपी और दो बार टिकट दिया. लेकिन हमेशा हार मिली. लेकिन इस बार वह हार को जीत में बदलने में सफल रहे.

राजभैया-कुंडा

विधानसभा चुनाव में राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी ने दो सीटों को जीतकर सबको चौंका दिया है. राजभैया की पार्टी ने बाबागंज सीट और कुंडा सीट से जीती हैं. रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया लगातार सातवीं बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीते हैं और ये अपने आप में एक रिकार्ड है. राजा भैया ने भले ही समाजवादी पार्टी के गुलशन यादव को हराया हो, लेकिन इस बार उनकी राजनीतिक ताकत कम हो गई है. क्योंकि इस बार जीत का अंतर काफी कम हो गया है. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी जीत का अंतर करीब 1.25 लाख था और 2012 के विधानसभा चुनाव में भी राजा भैया की जीत का अंतर करीब 90 हजार का था. लेकिन इस बार ये अंतर 25 हजार वोटों तक सिमट गया है.

रॉबिन हुड कहे जाते हैं राजभैया

राजा भैया प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से 1993 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं. उन्हें अपने क्षेत्र में रॉबिन हुड भी कहा जाता है. लोग थाने कचहरी के बजाए राजा भैया के भदरी महल में अपनी शिकायत लेकर जाना पसंद करते हैं. राजा भैया के पास करोड़ों की संपत्ति है और उन्हें बाइक चलाना भी पसंद है. इसके साथ ही राजा भैया को प्लेन उड़ाने का भी शौक है और उन्होंने प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग भी ली है. लेकिन उनके पास लाइसेंस नहीं है. राजा भैया के पास अपना एक चार्टर प्लेन भी है.

विनोद कुमार-बाबागंज

प्रतापगढ़ जिले के बाबागंज विधानसभा सीट से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के विनोद कुमार ने जीत हासिल की है. विनोद कुमार ने सपा के गिरीश चंद्र को 15767 मतों से हराकर सीट पर जीत हासिल की है. विनोद कुमार को इस सीट पर 67282 वोट मिले हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गिरीश चंद्र को 51515 वोट मिले हैं. वहीं इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी केशव पासी तीसरे स्थान पर रहे हैं. इस सीट पर भी विनोद कुमार को जीत अपने व्यक्तिगत और राजभैया के जनाधार के कारण मिली है.

भैया के सहारे विनोद कुमार

प्रतापगढ़ की बाबांगज सीट से जीते विनोद कुमार को राजा भैया का करीबी माना जाता है. जब तक कुंडा से राजा भैया निर्दलीय चुनाव लड़ते रहे हैं, समाजवादी पार्टी कुंडा और बाबागंज में अपना उम्मीदवार उतारती थी. लेकिन इश बार एसपी ने बाबागंज और कुंडा से प्रत्याशी उतारे. हालांकि इन दोनों सीटों पर एसपी को हार का सामना करना पड़ा. कहा जाता है कि बाबागंज में परोक्ष तौर पर ‘राजभैया’ की ही जीत होती है. ये भी कहा जाता है कि राजा भैया अपनी सीट से ज्यादा ध्यान बाबागंज पर देते हैं और यहां पर ‘भइया’ जो चाहते हैं वहीं होता है और इसे भैया का ‘बाबा’ भी कहा जाता है.

रीडर न्यूज़

Live Reader News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2019. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2019.

रीडर न्यूज़

Live Reader News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2019. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2019.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button