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साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटने को साथ आए साई के सदस्य, कई तरह की चुनौतियों पर हुई चर्चा

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में संघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों (साई) के सदस्य देशों की छठी बैठक सोमवार से शुरू हुई। इसमें संगठन के सदस्य देशों के प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं। भारत इसकी मेजबानी कर रहा है। तीन दिवसीय बैठक के पहले दिन सभी सदस्य देशों ने साइबर सुरक्षा के खतरों के रूप में उभर रही चुनौतियों से मिलकर निपटने व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के बेहतर प्रयोग के लिए मिलकर काम करने का निर्णय लिया। इस अवसर पर भारत ने ताजिकिस्तान व कजाकिस्तान के साथ एमओयू भी साइन किया।

साई के सदस्य देशों के शीर्ष लेखा परीक्षा संस्थानों व महालेखा परीक्षकों की बैठक का विषय ‘लेखा परीक्षा में उभरती प्रौद्योगिकियों का एकीकरण’ है। उद्घाटन सत्र में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू ने लेखापरीक्षा को साइबर सुरक्षा खतरों से बचाने के लिए वैश्विक सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए सरकारों को निजी क्षेत्र के भागीदारों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। सार्वजनिक क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से साइबर सुरक्षा से जुड़ी दिक्कतें सामने आई हैं। इसलिए सदस्य देशों के शीर्ष लेखा परीक्षा संस्थानों के लिए यह जरूरी है कि वे साइबर सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की जांच के लिए पर्याप्त क्षमता विकसित करें।

मुर्मू ने कहा कि साई सरकार में सुशासन और जवाबदेही को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। साई सुधार के क्षेत्रों की पहचान करके, कमियों को पहचान कर और धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार से संबंधित क्षेत्रांे की पहचान करके बेहतर काम करने का प्रयास करता है। उन्होंने बताया कि सीएजी ऑडिट प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग कर रहा है। इससे ऑडिट प्रक्रिया को अधिक कुशलता और प्रभावी दृष्टिकोण मिलता है। हम यहां एआई और साइबर सिक्योरिटी के साथ ऑडिट में उभरती प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने के एजेंडे पर चर्चा और आगे बढ़ाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। कार्यक्रम में उप नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक परवीन मेहता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बैठक में अतिरिक्त उपनियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक रेबेका मथाई समेत विभिन्न देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

हर क्षेत्र में तकनीकी डाल रही असर

मुर्मू ने कहा कि आज हर क्षेत्र में तकनीकी असर डाल रही है। वह दुनिया की प्रमुख चुनौतियों जलवायु, गरीबी, भोजन, ईंधन, स्वास्थ्य और सुरक्षा के निस्तारण में भी प्रयोग की जा रही है। यह हमारी क्षमता को बेहतर कर रही है। भारत तकनीक के पावर हाउस के रूप में आगे बढ़ रहा है। साई डेटा विष्लेषण में एआई का प्रयोग कर रहा है। गुड गर्वनेंस के लिए हमें इसका प्रयोग करना होगा। हमें इसकी चुनौतियों के बारे में भी सजग रहना होगा। क्योंकि इससे डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा संबंधित चिंता भी उठती है।

विशेषज्ञता आदान-प्रदान के लिए ताजिकिस्तान-कजाकिस्तान से एमओयू

इस अवसर पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) गिरीश चंद्र मुर्मू ने संघाई सहयोग संगठन के नेताओं की बैठक में ताजिकिस्तान और कजाकिस्तान के साथ एमओयू किया। यह लेखा परीक्षण के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान के लिए है। इसके तहत दोनों देश लेखा परीक्षण पेशवरों और तकनीकी टीमों के आदान-प्रदान प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहयोग करेंगे। ताजिकिस्तान से एमओयू पर काराखोन चिल्लाजोड़ा, अध्यक्ष ताजिकिस्तान गणराज्य के लेखा चैंबर ने किया। वहीं कजाकिस्तान की ओर से नताल्या गोडुनोवा अध्यक्ष सुप्रीम ऑडिट चैंबर ने किया। इस अवसर पर मुर्मू ने कहा कि यह एमओयू दोनों संस्थानों के बीच संबंधों को मजबूत करेगा।

पाकिस्तान ने बैठक में ऑनलाइन की शिरकत

संघाई सहयोग संगठन में भारत समेत आठ देश शामिल हैं। सोमवार से शुरू हुई बैठक में चीन, ताजिकिस्तान, किरगिस्तान, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, रूस, एससीओ सेक्रेटिएट के 22 प्रमुखों और अधिकारियों ने भौतिक रूप से प्रतिभाग किया। वहीं पाकिस्तान के प्रतिनिधि ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए।

सुशासन, जवाबदेही व पारदर्शिता के मिलकर करें काम: राज्यपाल

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने संघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों (साई) प्रमुखों की 6वीं बैठक का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने सुशासन, जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए साझा मिशन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थानों की भूमिका यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक संस्थानों का प्रभावी उपयोग किया जाता है।

राज्यपाल ने एआई और साइबर सुरक्षा को ग्लोबल होती दुनिया के कामकाजों के दृष्टिगत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि ये सूचनाओं के संकलन में तेजी के साथ-साथ इसका उपयोग प्रामाणिक निर्णय लेने में मदद करता है। नई तकनीक और उपकरणों को अपनाने से धोखाधड़ी और कुप्रबंधन का पता लगाने की क्षमता में सुधार किया जा सकता है। राज्यपाल ने सुशासन, जवाबदेही एवं पारदर्शिता को बढ़ावा देने में संगठन के काम की सराहना की। साथ ही इसके लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा देने की बात कही। इससे हम अपने लेखा परीक्षा कार्य की गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकते हैं।

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