
भारत सरकार ने कुछ दिनों पूर्व ही 230 से अधिक लोन देने वाली और बेटिंग करने वाली एप्स पर प्रतिबंध लगाया था। प्रतिबंध लगाने के समय भारत सरकार ने तर्क दिया था कि ये ऐप्स चीन से संबंधित है और इनके चालू रहने से सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं अब इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ऐप्स पर लगे बैन को हटा लिया है। जिन ऐप्स से बैन लटाया गया है उन्हे भारत से संबंधित ही बताया गया है। सराकर ने हाल ही में 138 बेटिंग और 94 लोन देने वाले एप्स को बैन किया था।
जानकारी के मुताबिक भारत सरकार ने PayU, LazyPay Kissht, Buddlyloan.com, faircent.com, KreditBee और mPokket के Aptoide से बैन हटाया है। इन सभी ऐप्स पर हाल ही में बैन लगाया गया था। बता दें कि सरकार ने सुरक्षा का हवाला देते हुए LazyPay पर भी बैन लगाया था। इस बैन के हटने से यूजर्स को बड़ी राहत मिली है। सरकार आने वाले दिनों और भी कई ऐप्स से बैन हटाएगी। इस दौरान उन ऐप्स को हटाया जाएगा जिसका चीन से कोई ताल्लुक नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को कई ऐसे दस्तावेज भेजे गए थे जिसके जरिए कहा गया था कि एप्स सुरक्षित है। वहीं मंत्रालय ने IT Act के सेक्शन 69 का हवाला देते हुए इन ऐप्स को बैन किया था।
कई लोगों ने की आत्महत्या
मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि जांच में पता चला है कि ये ऐप लोगों को कर्ज लेने और सट्टा खेलकर जीतने का लालच देते हैं। बाद में ये कर्जदारों पर सालाना 3000% तक व्याज वढ़ा देते हैं । जव कर्जदार लोन के पैसे वापस करने में असमर्थता जताते तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता। उन्हें वट्सऐप समेत कई सोशल मीडिया मंच पर भद्दे मेसेज भेजते हैं और उनकी तस्वीरों से छेड़छाड़ कर उन्हें वायरल करने की धमकी देते हैं। इससे परेशान होकर कई लोगों ने आत्महत्या की है। दिल्ली, तेलंगाना, ओडिशा, यूपी जैसे राज्यों ने भी गृह मंत्रालय से इन ऐप पर कार्रवाई की सिफारिश की है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगकी मंत्रालय (मेइटी) ने गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद इन ऐप को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया था। सरकार ने बताया कि जांच के दौरान सामने आया है कि इन एप पर भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाला कंटेंट मौजूद है। सरकार छह महीने पहले ही लोन देने वाले चीनी एप्स का विश्लेषण शुरू किया था। जिससे पता चला की 94 एप्स ई स्टोर पर उपलब्ध हैं। कुछ एप्स थर्ड पार्टी लिंक के जरिए काम कर रहे हैं। इन एप्स में चीनी कनेक्शन सामने आने के बाद इन्हें बैन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।