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जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने वालों को चुकानी पड़ेगी भारी कीमत : उपराज्यपाल

  • आतंकवाद और अलगाववाद को खत्म करने में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सर्वाेच्च बलिदान दिया

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि किसी को भी केंद्र शासित प्रदेश में शांति भंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। शांति अस्थिर करने की साजिश रचने वालों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। श्रीनगर के सशस्त्र पुलिस परिसर ज़ेवान में पुलिस स्मृति दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पुलिस बल पिछले तीन दशकों से केंद्र शासित प्रदेश में सराहनीय काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चाहे कानून-व्यवस्था बनाए रखना हो, आतंक से लड़ना हो, यातायात का प्रबंधन करना हो या दिन-प्रतिदिन के अपराध पर अंकुश लगाना हो, पुलिस सबसे आगे है। जम्मू-कश्मीर पुलिस देश की सबसे अच्छी ताकत है जो कई मोर्चों पर अत्यधिक व्यावसायिकता के साथ लड़ रही है।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए आतंकवाद और अलगाववाद को खत्म करने में सर्वाेच्च बलिदान दिया है। एलजी सिन्हा ने कहा कि अभी भी कुछ तत्व हैं जो हमारे पड़ोसी देश के इशारे पर शांति भंग करने की साजिश रचने की कोशिश कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने की कोशिश करने वाले तत्वों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस और सुरक्षा बल शहीदों के परिवारों के आंसुओं की एक-एक बूंद का बदला लेंगे।

उन्होंने कहा कि शहीदों को सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि आतंकवाद के ताबूत में आखिरी कील ठोकना होगा। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों और गैर-स्थानीय मजदूरों की क्रूर हत्याओं की निंदा करने के लिए हर समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए हैं, जो यह दर्शाता है कि आतंकवाद अपने अंतिम चरण में है और लंबे समय तक जीवित नहीं रहेगा। किसी राजनीतिक दल का नाम लिए बगैर उपराज्यपाल ने कहा कि जो लोग अपने निजी फायदे के लिए निर्दाेष लोगों की हत्याओं को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं वे वास्तव में देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं यहां यह कहने में संकोच नहीं करता कि अगर जरूरत पड़ी तो ऐसे लोगों पर कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में हम उग्रवाद और अलगाववाद को खत्म करने में काफी हद तक सफल हुए हैं।

उन्होंने कहा कि शहीदों के सर्वाेच्च बलिदान का ही नतीजा है कि आज जम्मू-कश्मीर के लोग राहत की सांस ले रहे हैं। समाज को उन तत्वों का बहिष्कार करने की जरूरत है जो अभी भी जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। उपराज्यपाल ने कहा कि हम आतंकवाद और इससे जुड़ी अन्य चुनौतियों से लड़ने के लिए पुलिस बल को सभी नवीनतम गैजेट और अभिनव साधन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रशासन कल्याणकारी योजनाओं, वित्तीय सहायता और बच्चों की शिक्षा के माध्यम से पुलिस शहीदों के परिवारों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। इस बीच एडीजीपी जाविद गिलानी ने पुलिस शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि इस साल अब तक 264 पुलिस और केंद्रीय बल के जवान ड्यूटी के दौरान शहीद हुए जिसमें 37 जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान शामिल हैं।

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